रात के करीब 10 बजे थे। रीमा अपनी दोस्त साक्षी के घर से लौट रही थी। रास्ता सुनसान और अंधेरा था, और सड़क के दोनों ओर घने पेड़ खड़े थे, जिनके बीच से हल्की-हल्की हवा गुजर रही थी। रीमा थोड़ी थकी हुई थी, लेकिन घर पहुंचने की जल्दी में थी। उसने सोचा, यह रास्ता हमेशा से ही डरावना लगता है, खासकर रात के समय। जैसे ही वह चलती गई, उसे लगा कि उसके पीछे कोई है। उसने पहली बार इसे नजरअंदाज किया। पर कुछ ही कदम आगे बढ़ने के बाद फिर वही एहसास हुआ, जैसे कोई साया उसकी परछाई की तरह उसके पीछे-पीछे चल रहा हो।