मोहन बचपन से ही उस पेड़ के साथ समय बिताता था। जब भी उसे कोई परेशानी होती, वह पेड़ के नीचे जाकर बैठ जाता और उससे बातें करता। पेड़ भी जैसे उसकी हर बात समझता और उसे शांति मिलती। पेड़ से मोहन को फल मिलते, उसकी छांव में वह गर्मी के दिनों में ठंडक महसूस करता, और बरसात के दिनों में पेड़ उसे पानी से बचाता।