उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव, सहीदगढ़, में एक पुराना किला खड़ा है जिसे “काले साए का किला” कहा जाता है। इस किले के बारे में कई भयानक कहानियाँ प्रचलित हैं। गांववाले कहते हैं कि इस किले में एक समय एक क्रूर राजा रहा करता था, जिसे अपनी बुराई के लिए एक दिन किले में ही सजा दी गई। कहा जाता है कि उस राजा ने कई निर्दोष लोगों को किले के अंदर जिंदा दीवारों में चुप करा दिया था। उनकी आत्माएँ आज भी उस किले में भटकती हैं। एक रात, गाँव का एक युवक, वीरू, अपने दोस्तों के साथ किले में रात बिताने का फैसला करता है, ताकि वह इन अफवाहों की सच्चाई जान सके। रात के अंधेरे में, जब वीरू और उसके दोस्त किले के भीतर गूंजती आवाजें सुनने लगे, तो वे घबराए। अचानक, वीरू ने एक काले साये को देखा जो हवा में तैर रहा था। साया धीरे-धीरे उनके पास आया और एक घिनौनी हँसी सुनाई दी। डर के मारे वीरू और उसके दोस्त भागने लगे, लेकिन किले के दरवाजे अपने आप बंद हो गए। सुबह तक, वे किले के भीतर बेतरतीब पड़े मिले। वीरू की हालत इतनी खराब थी कि उसे तुरंत अस्पताल ले जाना पड़ा। उसकी आंखों में अंधेरे और डर के निशान थे। गांववालों का कहना है कि राजा की आत्मा अब भी किले में भटकती है, और हर रात नया शिकार ढूँढती है।